Friday, December 5, 2014

तुमने जीवन को ठीक से समझा और सुखों के
हज़ार अवसरों के बावजूद भी अपने चयन में दुखों को शामिल किया।
....विरक्ति के समक्ष सांसारिक जटिलताओं को तरजीह दी...
तुमने पारंपरिक उक्तियों को सिरे से नहीं नाकारा बल्कि दृष्टि पैदा करके
उनके अलहदा आयामों की खोज की...
.....तुमने गलतियों से सीख ली और कई गलतियां दोहराई।
तुमने जितने संभव हो सकते थे भगवानों के नाम याद रखे..
तुम मंदिर गए, तुमने प्राथनाएं की...
.........तुमने संभावनाएं बनाये रखी अत: व्यथाओं की तरफ दरवाज़े खुले छोड़े।
तुमने कई शहर बदले, तुम कई लोगों से मिले, तुमने कई किताबें टटोली।
तुम जहाँ भी गए, जिससे भी मिले, जो भी पढ़ा...
प्रश्न एकत्रित किये!
क्योंकि तुम्हारा उदास होना स्वेच्छा से था
अत: तुम्हारे उत्सवों में शोलाकुल धुनें बजी..
तुम ताउम्र
किसी रॉक बैंड के वोकलिस्ट सरीखे कर्कश आवाज़ों में चिल्लाते रहे
......."हैल विथ योर लॉ, हैल विथ योर आर्डर"
और भीड़ ने हैड बैंगिंग के ज़रिये तुम्हारी मूर्खता पर नॉडिंग की...
तुम्हारा नृत्य हाई बीट कानफोड़ू तानो पर आधारित था,
इसलिए तुम्हारे रुदन मात्र लिप-सिंकिंग के
बेहतरीन प्रयास तक याद रखे गए..
तुमने उत्सुकता बनाये रखी व सीधी बातों के तात्पर्य समझने चाहे,
तुम्हें हसिये- हथौड़ों से डर था तुमने शब्दों का सहारा लिया,
तुम्हारे विचारों को अभिव्यक्ति की जल्दी थी,
तुमने कई भूर्ण हत्याएं की...और दंड चुने।
तुमने स्थिरता बनाये रखी,
.......सादगी को सराहा और पेचीदगी से प्रेम में पड़े....
जीवन तुम्हारा कृतज्ञ है !
तुमने विरोधाभासों की एक पूरी दुनिया ईजाद की
और इस मायावी चलचित्र को तिआयामी अस्तित्व प्रदान किया।

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