Tuesday, June 10, 2014

तुम्हारा अर्थ यदि मैं प्रेम से लगता हूँ 
तो यह समझना की दुनिया की सभी भौतिक वस्तुएं 
बाएं पलड़े पर रख कर 
तुम्हारा भार संतुलित करने के प्रति 
अपराधबोध से भर जाता हूँ।
चाहतें न हों ऐसा संभव नहीं अतेव चाहते रहने की प्रक्रिया
को आगे बढ़ाते हुए दुनिया के सभी बंधन तोड़ देना चाहता हूँ।
अपेक्षाओं के पिंजरे से मुक्त कर देना चाहता हूँ 
मेरी सबसे प्रिय चिड़िया 
जिसे मैंने जी बहलाने हेतु महत्वकांक्षा के महीन रेशे में 
सबसे दुखी दिनों पर गुनगुनाने को फसा रखा है।
अपने अँधेरे कमरे में उन किरणों का स्वागत नहीं करता 
जिस सूर्य के आलोक पर सहानुभूति दर्ज़ हो।
गिरा देना चाहता हूँ आस के सभी सूखे पत्ते और ठूंठ हो 
जाना चाहता हूँ किसी पतझड़ के छूछे वृक्ष सा।
तुम्हारे वक्षों के उभारों पर अपनी अनंत असफलता के बावजूद भी 
असहाय नहीं गिरना चाहता।
क्योंकि स्मृतियों की रस्सी को पकड़ कर तुम तक पहुँचने की चेष्टा व्यर्थ है
इसलिए तुम्हारी दिव्य उपस्थिति को किसी भी 
स्मारक वस्तु से नहीं आंकना चाहता, 
मैं तुम्हारी अनुपस्थिति को अपने रुदन से मुक्त करता हूँ !

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