Friday, May 2, 2014

"इतना आसान नहीं है"


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इतना आसान नहीं है 
सड़क के बीचों-बीच चलते हुए आकाश ताकना,
चमकते तारों को घूरते रहना। 
अत्यंत दुखद है आते जाते हर चेहरे को पहचानना, 
डर कर सिर झुका लेना, 
खाली जेबें टटोलना, 
खुद पर मुस्कुराना नहीं बल्कि खिल्ली उड़ना।
आवेश में आ कर अखबारों को फाड़ना,
चिल्लाना लेकिन फिर आवाज़ दबाना।
व्यर्थ चहलकदमी, पसीने बहाना,
खोखले शरीर पर चर्बी चढ़ाना।
बहुत मुश्किल है चुटकुलों पर हँसना, 
हिमायतियों की राय पर सिर को हिलाना,
आंसुओं में भी उलझ कर रहना, 
बहा भी न सकना, रोक भी न पाना।
फूलों का खिलना, हवा का चलना, 
नजारों की तारीफों में कसीदे पढना। 
घड़ियों की टिक टिक का कानो पर पड़ना,
नलको से टप टप लहू का टपकना। 
एक असहनीय क्रिया है पक्षियों को उड़ते हुए देखना,
व अपंगतावश वक़्त के कन्धों पर खुद को रख छोड़ना।
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