Thursday, May 16, 2013

दुआ न माग, उम्मीद न लगा..


टूटे तारे से क्या माग
रहा है जीने की वजह,
जो खुद टूटा गर्दिश में
अब तेरे किस काम का..

पलक के टूटे बाल से
न कर उम्मीद,
की वो ना तो
आँख का ही अपना है,
न हवा का अपना..  

मंदिर तो जा
की वहाँ भगवान बसते हैं,
पर दुआ न कर उनसे
खुद होके शिकास्तां..

शिकयात न कर मुझसे
की मैं बुरा गाता हूँ,
बस मेरी धड़कने सुन
और मेरे गीत गुनगुना..

रास्ते लम्बे हैं
तो जरा मत डर,
के तेरी इक मंजिल तय है
रास्तों को है बस चलते रहना ..

तू चिराग तो जला
जो रात काली है,
रात का अपना काम है ये,
के उस पर आँसू न बहा..

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